A Simple Key For Shodashi Unveiled
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Shodashi’s mantra encourages self-discipline and mindfulness. By chanting this mantra, devotees cultivate bigger Command over their ideas and steps, leading to a more conscious and purposeful approach to lifetime. This advantage supports private development and self-self-discipline.
सर्वाशा-परि-पूरके परि-लसद्-देव्या पुरेश्या युतं
॥ इति श्रीत्रिपुरसुन्दरीस्तोत्रं सम्पूर्णम् ॥
The underground cavern contains a dome higher earlier mentioned, and hardly noticeable. Voices echo superbly off the ancient stone from the partitions. Devi sits inside of a pool of holy spring h2o that has a canopy over the top. A pujari guides devotees by the whole process of spending homage and acquiring darshan at this most sacred of tantric peethams.
The devotion to Goddess Shodashi is really a harmonious mixture of the pursuit of beauty and the quest for enlightenment.
प्रणमामि महादेवीं परमानन्दरूपिणीम् ॥८॥
ഓം ശ്രീം ഹ്രീം ക്ലീം ഐം സൗ: ഓം ഹ്രീം ശ്രീം ക എ ഐ ല ഹ്രീം ഹ സ ക ഹ ല ഹ്രീം സ ക ല ഹ്രീം സൗ: ഐം ക്ലീം ഹ്രീം ശ്രീം
लक्ष्या मूलत्रिकोणे गुरुवरकरुणालेशतः कामपीठे
The Shodashi Mantra is actually a 28 letter Mantra and thus, it is amongst the simplest and least complicated Mantras so that you can recite, try to remember and chant.
ह्रीङ्काराङ्कित-मन्त्र-राज-निलयं श्रीसर्व-सङ्क्षोभिणी
यह देवी अत्यंत सुन्दर रूप वाली सोलह वर्षीय युवती के रूप में विद्यमान हैं। जो तीनों लोकों (स्वर्ग, पाताल तथा पृथ्वी) में सर्वाधिक सुन्दर, मनोहर, चिर यौवन वाली हैं। जो आज भी यौवनावस्था धारण किये हुए है, तथा सोलह कला से पूर्ण सम्पन्न है। सोलह अंक जोकि पूर्णतः का प्रतीक है। सोलह की संख्या में प्रत्येक तत्व पूर्ण माना जाता हैं।
वाह्याद्याभिरुपाश्रितं च दशभिर्मुद्राभिरुद्भासितम् ।
तिथि — किसी भी मास की अष्टमी, पूर्णिमा और नवमी का दिवस भी इसके लिए श्रेष्ठ कहा गया है जो व्यक्ति इन दिनों में भी इस साधना को सम्पन्न नहीं कर सके, वह व्यक्ति किसी भी शुक्रवार को यह साधना सम्पन्न कर सकते है।
प्रासाद उत्सर्ग विधि – प्राण प्रतिष्ठा check here विधि